35 साल की सच्ची प्रेम कहानी: जब अरेंज मैरिज बनी लव स्टोरी - एक छुपा हुआ प्यार जो परिवार से छुपकर हुई शादी
प्रस्तावना:
क्या आपने कभी सोचा है कि वो अरेंज मैरिज जो आज भी खुशी से चल रही है, कहीं कोई छुपी हुई लव स्टोरी तो नहीं? आज हम आपको 35 साल पुरानी एक ऐसी ही कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसमें प्यार था, इंतजार था, और सबसे बड़ी बात - एक बहन का प्यार था जिसने दो दिलों को मिलाया। यह कहानी लता और महेश की है, जिन्होंने अपने प्यार को परिवार से छुपाया और सुमन की मदद से इसे अरेंज मैरिज का रूप दिया। आज 35 साल बाद भी कोई नहीं जानता कि यह शादी दरअसल एक सच्ची प्रेम कहानी का परिणाम थी।
ये कहानी एक ऐसी लव स्टोरी की जिससे अरेंज मैरिज में बदला गया और परिवार में किसी को नहीं पता इस लव स्टोरी का। ये बात सिर्फ तीन लोगों के बीच की है।येबात शुरू होती है। 35 साल पहले जब लता और महेश पहली बार एक शादी मिलते हैं।ये सादी लता की बहन सुमन( बुआ की लड़की )और महेश के ताऊ के लड़के राजवीर की होती है।शादी में दोनों रिबन कटिंग के दौरान दूर दूर खड़े थे।रिबन कटिंग पे लड़कियों और लड़कों की तरफ से जिद बहस चल रही थी, लेकिन ये दोनों किसी भी बहस का हिस्सा नहीं होते।दोनों चुपचाप दूर खड़े देख रहे थे। लड़कियां रिबन कटिंग के दौरान ₹1100 मांगती है। लड़के मना कर देते है। वे कहते हैं, अगर लगा।हम₹1100 देंगे तो हमें एक और दुल्हन चाहिए।काफी जिद बहस के बाद बात नहीं बनती है तो राजवीर के छोटे भाई की नजर महेश पर पड़ती है। वो कहता है, यार तू इतनी दूर खड़ा होकर क्या कर रहा हैं, इधर आकर हमारी मदद कर। वो कहता है मैं क्या कर सकता हूँ? जब तुम इतनी देर से लगे तुम्हारी बात नहीं मानी जा रही तो मेरी कहाँ सुनेगी?दोनों पक्ष की ऐसे ही बात चलती रहती।इसी बीच महेश एक तरफ से रीबन को हटा देता है उसे ऐसा करते देख।लता कहती है, ये आप गलत कर रहे हो।और रिबन को हटाने से रोक देती है।जो दोनों चुपचाप दूर दूर खड़े थे, अब वह एक बहस का हिस्सा बन जाते हैं।दोनों के बीच लंबी बहस चलती रहती है।तभी पीछे से आवाज आती है तुम एक और दुल्हन मांग रहे थे ना? इन दोनों की जोड़ी बना दो।यह सुनकर थोड़ी शांति हो जाती है।तभी बड़े लोग आकर कहते हैं अपनी बकवास बंद करो और आगे चलो।रिबन कटिंग हो जाती है।पूरी शादी में दोनों की नोकझोंक होती रहती है।ये इन दोनों की। पहली मुलाकात थी।के 2 साल बाद सुमन की प्रेग्नेंसी में कुछ कॉम्प्लीकेशन हो जाती है। इसलिए सुमन की देखभाल के लिए लता सुमन के ससुराल आ जाती हैअपने व्यवहार और काम से घर के सभी लोगों का दिल जीत लेती है।शाम के समय सभी बहन भाई सुमन के पास बैठे रहते हैं ताकि सुमन का भी टाइम पास हो जाये।क्योंकि सुमन बेड रेस्ट पे थी इसलिए वो ज्यादा घूम फिर नहीं सकती थी।जब सभी लोग इकट्ठे होते हैं तो लता और महेश बीच में भी नोक झोंक होती रहती है।एक शाम सुमन की तबियत कुछ ज्यादा खराब हो जाती है।और घर पे कोई नहीं होता है। राजवीर भी अपने काम के सिलसिले में कई बार गया होता है।सुमन की ऐसी हालत देख कर लेता घबरा जाती है। लता जाकर महेश को बुला लाती है। वो तुरंत अपनी गाड़ी निकालकर सुमन को डॉक्टर के पास ले जाता है।लता को ऐसा घबराया देख महेश लता को सांत्वना देने लगता है।और उसको समझता है ऐसा कुछ नहीं होगा, तुम घबराओ मत सब ठीक हो जाएगा। आज उसे महेश का कुछ अलग ही जिम्मेदारी वाला रूप दिखाई दे रहा था।जो लता के दिल में जगह बना जाता है।लता को भी अपने परिवार के लिए ऐसा परेशान देखकर महेश लता की और खींचा चला जाता है।कुछ देर में डॉक्टर कहते हैं सुमन बिल्कुल ठीक है।एसिडिटी का अटैक आया था।आप लोग इसे घर लेकर जा सकते हैं।, महेश कहता है भाभी आपने तो हमें डरा ही दिया।और लता की तो देखो क्या हालत हो गई।सुमन कहती हैं डर तो मैं भी गयी थी, घर पे कोई नहीं है और लता मुझे संभाल नहीं पाएगी या नहीं?अच्छा हुआ जो तुम आ गए।महेश कहता है भाभी मुझे लता बुलाकर लाई थी।लता कहती हैं, आप लोग बैठो, मैं कुछ खाने के लिए लेकर आती हूँ।लता अपने और महेश के लिए चाय। और सुमन के लिए फल लेकर आती है।तीनों जने बैठ कर बातें करते रहते हैं।आज दोनों के बीच में खींचातानी नहीं, बल्कि शांति से बातें हो रही थी।वो दोनों एक दूसरे से नजर भी नहीं मिला रहे थे।सुमन भी उन दोनों के व्यवहार को देख रही थी, लेकिन कुछ समझ नहीं पायी। सुमन के परिवार वाले भी आ जाते है शादी में से।और सुमन की तबियत पहले से काफी ठीक है अब लता को भी अपने घर वापस लौटना था।लेकिन वह जाने से पहले महेश कुछ बातें करना चाहती थी।लेकिन वो ये सब कैसे करे उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था।इसलिए वो सुमन से कहती है, दीदी, आज हम पूरी रात बैठ कर बातें करेंगे आप अपने देवर और ननद को भी बुला लो।वैसे भी कल तो मैं चली जाऊँगी, फिर क्या पता कब मुलाकात हो।सभी बहन भाई एक जगह बैठकर बातें करने लगते हैं।बड़े लोग सभी अपने अपने कमरे में होते हैं।और बच्चे अपनी पार्टी मे लता महेश को हाथ मारकर पानी पीने का बहाना करके चली जाती।थोड़ी देर बाद महेश भी वहाँ पहुँच जाता है लता कहती है, कल मैं जा रही।महेश के पास। कुछ बहाना नहीं होता उसे रोकने की कहा वो चुप रह के बस बात सुनता रहता है।लता सबके लिए चाय बनाने लगती है।महेश कहता है अब तुम कब आओगी?लता कहती है, तुम् ऐसा क्यों पूछ रहे हो?महेश लता को अपने प्यार का इजहार कर देता है।लता भी हाँ में जवाब देती है।दोनों के चेहरे शर्म लाल हो जाते हैं।महेश कहता है मैं तुमसे बातें कैसे करूँगा।तुम्हारे वहाँ तो कोई फ़ोन भी नहीं है?अगर फ़ोन करूँगा तो तुम्हारे घर वाले क्या समझेंगे मेरे बारे में?अगर तुम यहाँ फ़ोन करोगी?तो मेरे घर वाले तुम्हे कहीं गलत न समझ ले।और चिट्ठी तो बिल्कुल नहीं लिख सकते।लता कहती है, फिर अब क्या होगा?मैं तो अपने घरवालों से ये भी नहीं कह सकती, मैं किसी लड़के को पसंद करती हूँ।अगर कहा तो वे तुरंत मेरी शादी किसी और से कर देंगे।और मेरे बारे में सोचेंगे की मैंने उन्हें समाज में शर्मिंदा कर दिया है।महेश कहता है।मैं कुछ सोचता हूँ।महेश के परिवार वाले एक।एक संपन्न परिवार होता है इसलिए वो रिश्ता भी अपने बराबरी मे ही करना चाहते है।जबकि लता एक गरीब परिवार से।महेश को डर है कहीं वे हमारे रिश्तों के लिए मना न कर दे।महेश को भी कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था अपनी और लता के बारे में बाते करने का।वे सोचते हैं, क्या हमारा प्यार ऐसे ही अधूरा रह जाएगा?अगली सुबह लता अपने घर वापस लौट जाती।ले।लेकिन दोनों को एक दूसरे की याद सताती है।उनके पास एक दूसरे से बात करने का कोई ज़रिया नहीं था।इसलिए दोनों अपना मन मारकर रह जाते हैं।फिर कुछ महीनों बाद सुमन के बेटा होता है।दोनों एक बार फिर मिलते हैं।इस बार उनके रिश्ते का एहसास कुछ अलग था।उनको ऐसे बाते करते हुए नजर चुराते देख सुमन कहती है। क्या हुआ? अब तुमने लड़ना बंद कर दिया है, कुछ और बात है।दोनों यह बात सुनकर अपना सिर नीचे कर देते हैं।अब सुमन? समझ जाती है की इनके बीच कुछ ना कुछ तो है।दोनों परिवारों से नजर चुरा के बातें करते रहते।लेकिन सुमन इनकी बातों को भांप जाती है।2 दिन ऐसे ही निकल जाते हैं।और लता को वापिस आना पड़ता है।अब लता के पास दोबारा वहाँ जाने का कोई बहाना नहीं था।महेश सुमन से कहता है।भाभी मैं लता को पसंद करता हूँ।सुमन जो इन दोनों के बारे में सोच रही थी वो सच था।मौका देखकर सुमन महेश की माँ से बात करती है।वे कहती हैं चाची आप बेटे का विवाह करके बहू, घर ले आओ। चाची कहती है कोई ढंग का रिश्ता ही नहीं मिलता।कही लड़की पसंद नहीं आती तो कोई हमारी बराबरी का नहीं होता। सुमन समझ जाती है कि वे लता को अपने घर की बहू नहीं बनाएंगे।क्योंकि उन्हें अपनी बराबरी का रिश्ता चाहिए और मामा तो गरीब है।महेश कहता है अब क्या होगा भाभी सुमन भी अब सोच में पड़ जाती है।कुछ दिनों बाद महेश के रिश्ते की बात चलती है।दोनों परिवारों के रिश्ता समझ में आ जाता है। लेकिन महेश रिश्ते की बात सुनकर नाराज हो जाता है।अब वो अपने और लता के रिश्ते की बात भी नहीं कर सकता और किसी और से शादी भी नहीं कर सकता। वो एक अजीब कशमकश में फंस जाता है।वो अपने प्यार की बात करके लता का मान भी कम करना नहीं चाहता।कुछ दिनों बाद जहाँ महेश का रिश्ता होने वाला होता है वहाँ से फ़ोन आता है।वे रिश्ते के लिए मना कर देते हैं।कहते है दादी का गौत्र मिल गया।और वे रिश्ता नहीं कर सकते।यह सुनकर महेश खुश हो जाता है।और ये खबर वो जल्द से जल्द लता को देना चाहता है।कुछ दिन बाद महेश का पेपर होता है।उसे दिल्ली जाना पड़ता है। दिल्ली में ही लता का घर है।महेश सुमन को कहता है।भाभी मैं दिल्ली जा रहा हूँ पेपर देने के लिए।सुमन समझ जाती हैं। वो कहती है, तुम मेरे मामा के घर चले जाना, तुम्हे किसी बात की कोई तकलीफ नहीं होगी।मैं फ़ोन कर दूंगी।महेश ये सुनकर खुश हो जाता है।सुमन कहती हैं, मुझे पता है तुम यह बात मुझे बताने क्यों आये थे।तुम्हें लता से मिलना था इसलिए।महेश कहता हाँ भाभी।सुमन महेश को कहती है देखो संभलकर रहना। तुम रिश्ते में देवर ज़रूर लगते हों लेकिन किसी लड़की का दूसरे लड़के से बात करना गलत समझा जाता।इसलिए लता से थोड़ा संभलकर ही बात करना।महेश कहता है आप चिंता मत करो। महेश लता के घर पहुँच जाता है।सुमन का देवर होने के कारण उसकी आवभगत अच्छे से की जाती।महेश को लता से बात करने का मौका नहीं मिलता है।लता को भी महेश से अकेलेमैं मिलने का मौका नहीं मिलता है। उसके भाई महेश के पास रहते हैं।वे सोचते हैं।पास होके भी हम एक दूसरे से मिल नहीं पाएंगे। महेश समझ जाता है अगर मोका मिले तो मैं एक लेटर लिख कर रखु और वो लता को दे दूंगा।लता भी एक लेटर लिखती हैं महेश को देने के लिए। हैं, बस अब उन्हें एक मौके का इंतजार होता लेटर को एक दूसरे से लेने देने का।शाम को खाने के बाद हाथ धोने के बाद महेश और लता की मुलाकात होती।इसी बीच दोनों लेटर एक दूसरे से अदला बदली कर लेते।पता चलता है कि महेश का रिश्ता कहीं और हो गया था? वो तो अच्छा हुआ जो उन्होंने मना कर दिया।लेकिन अब भी उनके पास कोई रास्ता नहीं था! लेटर पढ़ने के बाद दोनों को तसल्ली हो जाती।सुबह महेश का पेपर होता है।जाने से पहले महेश और लता की बात हो ही जाती।लता कहती हैं, अब हम क्या करें अपने रिश्ते कोआगे कैसे बढ़ाएँ?महेश कहता है, सुमन भाभी को हमारे बारे में सब पता है।उन्होंने मुझे यहाँ भेजा है।शायद सुमन भाभी ही कुछ मदद कर सके।लता कहती है, तुम ठीक कह रहे हो।अगर सुमन दीदी हमारे रिश्ते की बात चलाएगी तो पापा भी मना नहीं करगे।अब हमें उनसे ही कुछ उम्मीद है।उन्हेंअपने रिश्ते को एक नाम देने में बड़ी कठिनाई हो रही थी।जबकि दोनों एक ही जाति के हैं और पहले से भी रिश्तेदार है।क्योंकि उस समय अपने रिश्ते की बात करना गलत माना जाता था।और वो भी यह कहना है कि मैं किसी और से प्यार करता या करती हूँ।अगर वो ऐसी बात करते भी है तो घर के समझेंगे कितने बेशर्म हो चूके हैं?और लड़की के लिए तो कुछ ज्यादा ही मुश्किल होता है।यह ऐसा माना जाता है कि लड़की ने तो अपने बाप की इज्जत मिट्टी में मिला दी।इसलिए लता चाहकर भी कुछ नहीं कह सकती।और महेश बात करके।अपने परिवार में लता का मान नहीं गिराना चाहता था।वे लोग लता को गलत ही समझते, वे सोचते की लता गलत लड़की है और उसने मुझे फंसाया है।क्योंकि दोनों के परिवार मे अमीरी गरीबी का फर्क था।लता की मजबूरी थी चुप रहने की। महेश लता और उसके परिवार की इज्जत खराब नहीं करना चाहता था बस दोनों एक ही फैसला करते हैं कि हम कहीं और शादी नहीं करेंगे।उसके लिए चाहे हमें मरना ही क्यों न पड़े? महेश पेपर देकर अपने घर आ जाता है।जब दो 3 दिन तक महेश सुमन से मिलने नहीं आता है। वो उसके मामा द्वारा पहुंचाया सामान भी किसी और का हाथ भिजवा देता है।सुमन को चिंता होने लगती है। आखिर क्या हुआ जो महेश मुझसे मिलने नहीं आया।वो अपने मामा के पास फ़ोन करती है जो पड़ोस में लगा होता है।उसकी सुमन से भी बात होती है।सुमन लता को कहती है, तू मेरी बात का हाँ और ना में ही जवाब देना।वो कहती हैं, तुम्हारे और महेश के बीच कुछ हुआ है।वो ना में जवाब देती है।क्या घर में किसी ने महेश से कुछ कहा?नहीं फिर महेश मुझसे मिलने अब तक क्यों नहीं आया? लता कहती है दीदी शायद उसके रिश्ते की बात कही चल रही होगी।लता कहती है, दीदी अगर हमारा रिश्ता नहीं हुआ है तो हम किसी और से भी शादी नहीं करेंगे।उसके लिए चाहे हमें।और कहते कहते चुप हो जाती।सुमन कहती है, देखो तुम कोई ऐसा वैसा कदम मत उठाना।मैं एक बार फिर से कोशिश करती हूँ। लता ठीक है, दीदी। शाम को जब महेश की माँ सुमन की सास से मिलने आती है तो सुमन कहती है।चाची, आप महेश की शादी मेरी बहन लता से कर दे।सुमन की सास कहती है लड़की कितनी समझदार है?और काम भी अच्छे से करती है।जब से महेश के रिश्ता लड़की वालो ने मना किया है तब से महेश की माँ एक अच्छी लड़की चाहती है।वो कहती है, ठीक है मैं घर पे बात करूँगी।पर तुम्हारे चाचा तो महेश के लिए लड़की देखने गए है?यह सुनकर सुमन समझ जाती हैं कि महेश मुझसे मिलने क्यों नहीं आया?अब उसे महेश भी चिंता होने लगी।वो कहती हैं, चाची महेश को एक बार घर भेजना।वो मुझे डॉक्टर की एक रिपोर्ट दिखानी है।रात को महेश सुमन से मिलने आ जाता है।सुमन कहती हैं, महेश मेरी बात लता से हो गई है।तुम कोई ऐसा वैसा कदम मत उठा लेना।मैंने तुम्हारी माँ से बात की है।वे तुम्हारे और लता के रिश्ते के लिए तैयार है।महेश कहता है भाभी पापा तो मेरे लिए लड़की देखने गए है।सुमन कहती है, बस यही चिंता की बात है कही वे रिश्ता पक्का न कराएं।अगर उन्होंने रिश्ता पक्का कर दिया तो फिर हम कुछ भी नहीं कर पाएंगे।महेश कहता है भाभी चाहे कुछ भी हो जाए मैं शादी तो लता से ही करूँगा। मैं किसी और से शादी नहीं कर सकता सुमन फिर महेश को समझाती है।देखो, तुम कभी भी ऐसा वैसा कदम मत उठाना।तुम्हारे पापा आ जाए, फिर हम बात करते हैं।दो तीन दिन बार महेश का पापा घर आ जाते।उन्हें लड़की पसंद नहीं आती है।ये सुनकर महेश और सुमन राहत की सांस लेते हैं।सुमन फिर से महेश की माँ को लता और महेश की रिश्ते की बात करती है।क्योंकि इन दोनों के फैसले से सुमन भी डर गई, कहीं ये ऐसा वैसा कदम न उठा ले।इससे परिवार की बदनामी भी होगी और इन्हें कुछ हो गए तो दुख भी। इसलिए सुमन अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती हैं इन दोनों का रिश्ता करवाने के लिए।।जबकि राजबीर भी सुमन से लड़ता रहता है। तुम क्यों इन दोनों के रिश्ते के पीछे पड़ी हो?होना होगा तो हो जाएंगे।अब सुमन राजवीर को भी नहीं बता सकती ये बात।उसे पता है बात अगर एक जगह गयी तो फैलते टाइम नहीं लगेगा।आखिर में महेश के परिवार उन दोनों के रिश्ते के लिए मान जाते हैं।वे सुमन से कहते हैं, तुम अपने मामा से बात करो रिश्ते के लिए।यह सुनकर महेश और सुमन बहुत खुश हो जाते।महेश कहता है भाभी आप लता को खबर मत लगने देना हमारे रिश्ते की, उसे सरप्राइज़ देना।सुमन अपने मामा से रिश्ते की बात कर लेती है।वो कहती हैं, मामा जी हम रविवार को लता को रोकने के लिए आ जाएंगे।लेकिन ये बात आप लता को मत बताना है की मेरे ससुराल में उसका रिश्ता हुआ है।लता के रिश्ते की बात पूरे घर में हो जाती है।यह सुनकर लता दुखी हो जाती है।वो सोचते है मुझे महेश के बारे में पापा को बता देना चाहिए।लेकिन उसकी हिम्मत ही नहीं होती कुछ भी बताने की और सुमन के समझाने के बाद तो वो अपना मरने का फैसला भी बदल चुकी थी।रविवार को सुमन,राजवीर,महेश का पापा और सुमन का ससुर आते हैं।महेश और लेता का रिश्ता पक्का करने । पहले के टाइम में लड़का लड़की से दिखाने या पूछने का रिवाज नहीं था।घर के बड़े जहाँ रिश्ता कर देते थे, उनको वही शादी करनी होती थी।सुमन और उसके परिवार को अपने घर पर देख कर लता खुश हो जाती है, उसे समझने में देर नहीं लगती कि यह महेश और मेरे रिश्ते के लिए आए। (उस समय मैं।अपने देवर और पति का नाम भी नहीं लिया जाता था ये तो हम कहानी समझने के लिए नाम यूज़ कर रहे हैं।) दोनों का रिश्ता पक्का हो जाता है।आज उनकी शादी को 35 साल हो गए, लेकिन घर में किसी को भी नहीं पता ये अरएन्ज मैरिज नहीं लव मैरिज थी। एक लव स्टोरी जो सुमन की मदद से अरेंज मैरिज में बदली हो गयी। अगर सुमन ना होती तो इनकी शादी कभी न हो पाती।और इस कहानी का अंजाम कुछ और होता।या तो यह दोनों टूटे हुए दिल के साथ किसी और के साथ जुड़े होते हैं।या फिर ये दोनों ही जिंदा न होते?उस समय प्यार की बात करते समय भी डर लगता था।
FAQs:
प्रश्न 1: क्या यह कहानी सच्ची है?
उत्तर: जी हाँ, यह 35 साल पहले की सच्ची घटना है जहाँ एक प्रेम कहानी को अरेंज मैरिज का रूप दिया गया।
प्रश्न 2: सुमन ने क्यों मदद की थी?
उत्तर: सुमन ने दोनों के प्यार को समझा और उन्हें डर था कि कहीं वे कोई गलत कदम न उठा लें। इसलिए उन्होंने परिवारों से बात करके शादी करवाई।
प्रश्न 3: क्या आज भी परिवार को पता नहीं है?
उत्तर: नहीं, आज 35 साल बाद भी परिवार में सिर्फ तीन लोग जानते हैं यह राज - लता, महेश और सुमन।
प्रश्न 4: उस समय प्यार की बात करना क्यों मुश्किल था?
उत्तर: उस जमाने में प्यार की बात करना बहुत गलत माना जाता था, खासकर लड़की के लिए। इससे पूरे परिवार की इज्जत पर आंच आती थी।
प्रश्न 5: क्या ऐसी कहानियां आज भी होती हैं?
उत्तर: जी हाँ, आज भी कई परिवारों में ऐसी प्रेम कहानियां छुपी होती हैं जो अरेंज मैरिज का रूप ले लेती हैं।