सुंदरकांड की ताकत: एक परिवार की असली डरावनी कहानी जो आपको हैरान कर देगी

 सुंदरकांड की ताकत: एक परिवार की असली डरावनी कहानी जो आपको हैरान कर देगी


परिचय:-

कभी-कभी ज़िन्दगी में ऐसे मनहूस पल आ जाते हैं, जब हर तरफ डर, अनहोनी और अनबूझे हादसों की परछाई छा जाती है। यह कहानी है एक मध्यवर्गीय परिवार की, जिसने 30 साल पहले एक अजीब और डरावनी रात का सच अपने घर में महसूस किया। पर विश्वास, सुंदरकांड और एक साधु के मार्गदर्शन ने न सिर्फ घर को बचाया बल्कि पूरे परिवार की किस्मत बदल दी।

30 साल पुरानी सच्ची डरावनी कहानी — सुंदरकांड का चमत्कार


यह बात बहुत पुरानी है लेकिन कई बार बातों बातों में बात निकल आती है तो यह बात भी याद आ ही जाती है जब एक रात में और मेरा बेटा अकेले थे मैं रात का काम खत्म करके दरवाजा अच्छे से बंद करके हम सो गए थे रात को बाहर वाले गेट के खुलने की आवाज आई तो मुझे लगा कि कोई चोर है क्योंकि गेट धीरे-धीरे खुल रहा था मैंने खिड़की से देखा तो बाहर गेट पर और आसपास कोई नहीं दिखाई दिया। मैंने घड़ी की तरफ देखा तो रात के 2:00 बजे थे मैं समय देखने के बाद डर गई सर्दी की रात्रि चारों तरफ सन्नाटा था। मुझे डर लगने लगा कि कोई चोर अंदर ना आ जाए लेकिन अब बाहर जाकर किसी को बुलाने की हिम्मत भी नहीं थी।और गले से आवाज भी नहीं निकल रही कि मैं शोर ही कर दूं उस  समय तो फोन भी नहीं होते थे कोई गली मोहल्ले में एक या दो फोन होते थे मैंने डर के कारण बैठे-बैठे ही वह रात निकाल दी।और थोड़ी देर बाद जब घर वाले भी आ गए तो मैंने उन्हें रात वाली सारी घटना  बता दी। उन्होंने कहा कि कोई चोर होगा मुझे भी ऐसा ही लगा कि कोई चोर ही आया होगा ऐसे ही 8-10 दिन निकल गए और हम भी यह बात भूल गए फिर कुछ दिन बाद रात के समय कमरे में बैड  पर पैरों की तरफ एक चिपचिपा पदार्थ मिला हाथ लगाने पर पता चला जैसे कोई गोंड हो. पर पता नहीं बंद कमरे में यह कहां से आया और कुछ हल्की अजीब सी आवाज भी सुनाई दे रही थी जब बाहर देखा तो पता नहीं लगा आवाज कहां से आ रही थी फिर थोड़ी देर बाद आवाज बंद हो गई लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी तो इस बात की थी वह चिपचिपा पदार्थ आया कहां से और कैसे? कुछ देर बाद ही मेरे बेटे को बहुत तेज बुखार हो गया.उसे ठंड में भी पसीना आ रहा था।और वे भट्टी की तरह जल रहा था।फिर उसे गीले तोलिए से लपेटा।ये सब देखकर मैं घबरा गई।रह रह कर मेरे मन में  बहम आने लगा।  कि यह पदार्थ कहाँ से आया था? कहीं बाहर से किसी ने रोशनदान के जरिए तो अंदर  नहीं फेंका है।  कुछ और भी हो सकता है

लेकिन हमारा ध्यान कोई भी negative energy की तरफ नहीं गया पता नहीं क्यों लेकिन उस दिन के बाद घर में कोई ना कोई बीमार रहने लगा और घर में कुछ ना कुछ अजीब होने लगा.कई बार तो कई चीजे रख देते और दोबारा लेने जाते तो वह चीज वहां पर दिखती ही नहीं थी जैसे कोई दृष्टि भ्रम हो गया हो.यह दृष्टि भ्रम केवल घर की औरतों को ही होता था. घर के पुरुष को नहीं. मेरे घर का में गेट ज्यादातर खुला ही मिलता था जबकि हम गेट  कुंडी  से बंद करके ताला लगा कर सोते.जब सुबह देखते तो ताला कुंडी में ही नहीं होता था ताला लगाकर ऊपर कुंडी होती थी जिस कारण ताला लगा कर भी ताला नहीं लगता था.आड़ोस पड़ोस के लोग कहते किसी से पूछ लो यह सब क्या हो रहा है लेकिन कोई ऐसा व्यक्ति समझ में नहीं आ रहा जिससे यह सारी बातें पूछ सके.धीरे-धीरे काम पर भी असर पढ़ने लगा.घर में लड़ाई झगड़ा होने लगे घर के सदस्यों का आपस में ऐसा व्यवहार हो गया जैसे वह एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते हैं.लेकिन घर में कहीं भी किसी को कोई भी साया नजर नहीं आया.लेकिन अजीब सी आवाज तो सुनाई देती थी जैसे कि किसी  के रोने की पानी टपकने कीऔर कभी-कभी तो दुर्गंध भी आती थी.एक महीने ऐसा ही चला घर के हालात बहुत खराब हो गए.फिर एक दिन अचानक एक बाबा भिक्षा मांगने के लिए आए तो मैंने उन्हें पैसे देना चाहा  पर बाबा ने पैसे लेने से मना कर दिया। बाबा ने कहा मुझे तो रोटी और एक प्याली। चाय दे दो मैंने बाबा को चाय दे दी।बाबा.चाय पीते पीते बोले तुम्हारे घर में झगड़े होते हैं,हर वक्त कोई ना कोई बीमार रहता है.मैंने हां में गर्दन हिलाई. बाबा बोले अगर घर में कोई बड़ा है तो उसे बुला ले मैंने अपनी सास को बुला लिया बाबा ने कहा सुंदरकांड का पाठ करो इसमें बहुत मुश्किल आएगी लेकिन तुम्हें पूरे विश्वास के साथ सुंदरकांड का पाठ करना है. मानो यह बाबा भगवान के भेजे हुए दूत हो भगवान जी जिस पर अपना आशीर्वाद रखते हैं वह उन्हें कोई ना कोई राह जरूर दिखाते हैं.या फिर किसी न किसी को मदद के लिए भेजते हैं बाबा के बताने के बाद हमने पहले मंगलवार को ही सुंदरकांड का पाठ और हवन करवाने के लिए पंडित जी को बुलाया.पंडित जी सारे सामान की सूची और विधि बता गए हम पूजा का सारा सामान एक जगह रख देते हैं और अगले दिन क्या देखते हैं जो सामान पूजा के लिए लाए थे वह वहां पर है ही नहीं घर में किसी को भी वह समान नजर नहीं आया.थोड़ी देर में पंडित जी वहां पर आ गए वह कहने लगे सारा सामान ले आओ पूजा की तैयारी करते हैं.मेरी सास पडित जी को सामान के बारे में बताने वाली होती है तभी पंडित जी की नजर सानान पर पड़ जाती है वे सामान ले आते है उस समय ये दृष्टी भ्रम आखरी बार था जो पूरे परिवार को हुआ। उसके बाद कभी ऐसा नहीं हुआ। सब कुछ पहले की तरह  ठिक हो गया सब खुशी से रहने लगे पता नहीं वो सब क्या था। कोई बुरा साया यबुरा करम या फिर बुरा वक्त।जो बुरा अनुभव दे कर। अब गुजर गया है।अब 30 साल हो गए हैं।


(FAQs) :-


  • सुंदरकांड का पाठ घर में क्यों करें?
    सुंदरकांड का पाठ नकारात्मक ऊर्जा दूर करने और घर में सुख-शांति लाने के लिए किया जाता है।

  • क्या डरावनी घटना के बाद सुंदरकांड पढ़ना लाभकारी है?
    हाँ, ऐसा करने से मानसिक तनाव कम होता है और घर का माहौल सकारात्मक बनता है।

  • चिपचिपा पदार्थ घर में कहां से आ सकता है?
    यह प्राकृतिक कारणों से या ऊर्जा की वजह से आ सकता है। आध्यात्मिक दृष्टि से इसे नकारात्मक प्रभाव माना जाता है।

  • बाबा द्वारा सलाह देने के बाद क्या बदलाव आया?
    उनके कहने पर सुंदरकांड पाठ और हवन करने से घर के हालात सुधर गए और परिवार में शांति लौट आई।

  • यदि घर में लगातार अजीब घटनाएं हो रही हों तो क्या करें?
    सुंदरकांड का पाठ करें, घर की साफ-सफाई रखें, कपूर-लोबान से धुआं करें और सकारात्मक सोच बनाए रखें।


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