छात्र जीवन, परीक्षा का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य की कहानी
परिचय:
राजन जेईई की तैयारी के लिए कोटा जाता है। वो आइआइटी में पढ़ना चाहता था। कोटा के कोचिंग सेंटर में अपनी पढ़ाई शुरू करता है और एक हॉस्टल में रहता है। वो अपनी पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई करता है। वहाँ पर कुछ दोस्त भी बन जाते हैं वे सभी अपनी अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देते हैं वे लोग 10-12 घंटे पढ़ाई करते हैं नोट्स बनाते हैं उनके हर महीने टेस्ट होते हैं उन्हें अपने टेस्ट को लेकर बहुत टेंशन होती है। कई स्टूडेंट्स तो ये प्रेशर सह नहीं पाते हैं। जिस कारण वे नशे की तरफ बढ़ जाते हैं। शुरू में तो टेंशन के कारण नींद आती है तब नशा करते हैं लेकिन पढ़ाई प्रेशर इतना ले लेते हैं कि वह नशे के आदि हो जाते हैं। उनमें से एक हर्ष था जो राजन का दोस्त था जो अपने प्रेशर को कम करने के लिए नशे का शिकार हो जाता है क्योंकि वो बार बार टेस्ट में फेल हो रहा था।वही हाल राजन का भी था। राजन भी अब तक अपने सभी टेस्ट में फेल हो रहा था। उन्हें जेईई की तैयारी करते हुए 2 साल हो गए थे। रमन और मयंक अपने टेस्ट में पास हो जाते हैं। वो भी राजन के ही दोस्त थे। और रमन से पूछता है यार मैं भी तुम्हारे साथ पढ़ता हूँ, फिर भी फेल हो गया और तुम पास मैं अब ऐसा क्या करूँ की मैं भी अपने टेस्ट में पास हो जाऊं? मेरे माँ बाप ने मुझे यहाँ लोगों से पैसा लेकर पढ़ने भेजा है। कुछ देर बाद हर्ष का फ़ोन बजता है, हर्ष फ़ोन उठाता है, उसके मम्मी पापा उसका हालचाल पूछते है और उसकी पढ़ाई के बारे में पूछते हैं क्योंकि।अगले महीने जेईई का पेपर होता है।वे अपने बेटे को समझाते है तुम अच्छे से पढ़कर तैयारी के साथ पेपर देना अपना मन लगाकर पढ़ाई करो। तुम्हारा जेईई जरूर क्लियर होगा.बेटा की हुई मेहनत कभी खराब नहीं जाती। हर्ष को अपने मम्मी पापा की बातें सुनकर बहुत सुकून महसूस होता है। दोस्तों मेरे मम्मी पापा ने मुझे कितनी उम्मीदों के साथ पढ़ने भेजा है और मैं यहाँ पर आकर नशे जैसी गलत चीज़ में फंस गया। मुझे अपने पेरेंट्स को धोखा नहीं देना चाहिए। वो सोचता है मैं अब से अच्छे से पढ़ाई करूँगा और पास होकर रहूंगा। वो अपने पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई शुरू करता है लेकिन उसे नशे की लत लग चुकी थी। हर्ष अब अपनी पढ़ाई, नशे की लत और पेरेंट्स के सपने और भरोसे के बीच जूझ रहा था जब वह अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पाता है तो वो नशे का सहारा लेता है, लेकिन वो तुरंत अपने आप पर नियंत्रण करता है और नशे को फेंक देता है और मन लगाकर पढ़ाई करता है। इसके दूसरी तरफ राजन अपनी पढ़ाई पर फोकस करता है क्योंकि वो भी अभी तक सभी टेस्ट में फेल हुआ था। राजन अपने पढ़ने के तरीकों को थोड़ा सा बदलता है क्योंकि पहले पढ़ने के तरीके से उसे रिज़ल्ट नहीं मिल रहा था। वो अपनी पढ़ाई को2 घंटे और बढ़ा देता है। अब वो 12-14 घंटे पढ़ाई करता है, वो अपना रिलिजन भी करता है और अपना टेस्ट भी लेता है। उसे अपने इस तरीके से पढ़ाई करने से फायदा दिख रहा है क्योंकि वो पुराने पेपर सॉल्व करने में कामयाब हो जाता है, जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।वो और अच्छे से पढ़ाई करता है क्योंकि पहले सभी टेस्ट में फेल होने के कारण उसका आत्मविश्वास टूट गया था। लेकिन अब उसे लगने लगा कि उसका पेपर क्लियर हो जाएगा। उनके पेपर की डेट भी आ गई। आज उन सबका पेपर था। वे लोग अपना पेपर करके वापस अपने कमरे में आ जाते हैं। सभी दोस्त इकट्ठा होते हैं रमन मयंक और राजन वे कहते हैं, हमारा पेपर तो ठीक हो गया है, लेकिन हर्ष का पेपर अच्छा नहीं जाता है। रमन और मयंक कहते हैं, यार आज हमारा पेपर हुआ है, आज हम सब फ्री है। क्यों ना कहीं घूमने चले फिर तो हम अपने घर चले जाएंगे। वे सब मान जाते हैं लेकिन हर उन सबका पेपर खत्म होने के बाद कुछ घंटे बाद सबके घर से फ़ोन आता है। सभी पेरेंट्स अपने बच्चों के पेपर के बारे में पूछते हैं तुम्हारा पेपर कैसा हुआ? इस बार तुम पास हो जाओगे या नहीं? वे कहते है पेपर तो ठीक गया है। राजन के पेरेंट्स पूछते हैं राजन तुम्हारा पेपर कैसा हुआ?इस बात तो तुम पास हो जाओगे या फिर इस बार भी रह जाओगे। राजन कहता है नहीं पापा, इस बार मेरा पेपर अच्छा हुआ है।अपनी पूरी मेहनत से पढ़ाई करो अपना शत प्रतिशत दो और तुम चिंता मत करो। सब अच्छा होगा। फिरहर्ष के पेरेंट्स का कॉल आता है। वे हर्ष से पूछते हैं, तुम्हारा पेपर कैसा हुआ? पिछली बार तो तुम फेल हो गए थे, इस बार तो फेल नहीं हो जाओगे हम लोगों ने तुम्हारी पढ़ाई पर बहुत पैसा लगाया है। हमारे पास और पैसा नहीं है तुम पर बर्बाद करने के लिए हमने तुम्हें वहाँ पढ़ाई करने के लिए भेजा है, नशा करने के लिए नहीं। अगर तुम इस बार भी फेल हो गए तो?अपने आस पड़ोस और रिश्तेदारों को क्या मुँह दिखाएंगे?वे लोग हमारा मजाक बनाएंगे। कहेंगे बना लिया अपने बेटे को इंजीनियर हर्ष अपने पेरेंट्स की सभी बातें चुपचाप सुन रहा था, लेकिन वो अंदर से पल पल टूट रहा और थोड़ा थोड़ा मर रहा था। हर्ष के पेरेंट्स एक बार भी उसे समझने का प्रयास नहीं करते हैं। हर्ष अपने पेरेंट्स को नशे वाली बात खुद बताई थी। उसने कहा था, मैं अब पूरी मेहनत और लगन से पढ़ाई करूँगा। लेकिन उसके पेरेंट्स उस इसे हौसले को समझ नहीं पाए। उन्हें सिर्फ समाज से रुतबे और पैसों की चिंता थी। हर्ष अपने पेरेंट्स की बात सुनकर टूट जाता है और उसे लगता है की मैंने अपने पेरेंट्स के सारे पैसे बर्बाद कर दिए। मैं किसी लायक नहीं हूँ।जब उन्हें पता लगेगा कि मैं इस बार भी फेल हो गया हूँ तो मुझे कभी माफ़ नहीं करेंगे और लोग उनका मजाक बनाएंगे, वो अलग मैं मैं किस मुँह से उनका सामना करूँगा?उनकी सारी तकलीफ का कारण मैं ही हूँ,जब मेरा रिज़ल्ट आएगा, तो उन्हें पता लग जाएगा कि मैं फेल हो गया हूँ, उससे पहले मुझे मर जाना चाहिए। अगर मैं मर गया तो कोई उन्हें कुछ नहीं कहेगा। कोई उनका मजाक नहीं बनाएगा और मेरे ऊपर उन्होंने पैसे बर्बाद नहीं करने पड़ेंगे। यही सब सोचते सोचते वो फांसी लगा लेता है और अपने सुसाइड नोट में लिखता है।आई एम सॉरी मम्मी पापा मैं आपके सपनों को पूरा नहीं कर पाया।मैं किसी लायक नहीं हूँ मुझे माफ़ करना, मैंने आपके पैसे बर्बाद कर दिए और आपके सपनों को भी।मम्मी पापा, ऐसा नहीं है कि मैंने कोशिश नहीं की? मैंने अपनी पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई की थी। मैंने नशा भी छोड़ दिया। बीच बीच में कई बार मन में आता था की नशा कर लूँ। लेकिन फिर आप लोग याद आते की आपने कितने भरोसे के साथ मुझे पढ़ने भेजा है? आप लोगों को धोखा नहीं दे सकता और मैं पढ़ने लग जाता जब मैंने आपको मेरे नशे करने की बात बताई थी, उस दिन के बाद मैंने कभी नशा नहीं किया, लेकिन आज मुझे आप लोगो की बात सुनकर लगा जैसे मैं इस दुनिया का सबसे खराब बेटा हूँ जो किसी लायक नहीं है।मुझे मेरी सभी गलतियों के लिए माफ़ कर देना आई ऐम सॉरी मम्मी पापा। उसका सुसाइड पेपर उसके मम्मी पापा की फोटो के नीचे रखा होता है। दूसरी तरफ राजन, मयंक और रमन इन सब बातों से अनजान अपनी मौज मस्ती में लगे हुए थे। घूम फिर कर अपने रूम में जाने की सोचते है। रमन कहता है हर्ष तो हमारे साथ नहीं आया।क्यों ना हम आइसक्रीम लेकर चले, उसके साथ बैठकर खाएंगे? वे तीनों आइसक्रीम लेकर कमरे की तरफ आ जाते हैं। राजन कमरे की खिड़की की ओर देखता है और चौंक जाता है वे भाग कर रमन और मयंक राजन हर्ष की तरफ देखते हैं और फिर कमरे की तरफ भागकर कमरे के अंदर जाते हैं और देखते है की हर्ष फांसी के फंदे से लटका हुआ था। उन लोगों ने देखा तब तक हर्ष मर चुका था। वे लोग पुलिस और हर्ष के घर फ़ोन करते हैं और सारी बात बता देते है। पुलिस अपनी जांच शुरू कर दी है। उन्हें वहाँ पर सुसाइड नोट मिलता है जिसे वो फोटो कॉपी कराकर एक कॉपी हर्ष के घरवालों को दे देते है। उसे पढ़कर हर्ष के माँ बाप को अपनी कही हुई बातों का बहुत अफसोस होता है। लेकिन अब अफसोस करने का कोई फायदा नहीं था अगर वे उस समय हर्ष को प्यार से बोलते तो आज हर्ष ये कदम नहीं उठाता, वो आज जिंदा होता। उसके पेरेंट्स एक बात बार बार कह रहे थे कि उसकी वजह से उनके बेटे की जान गई है। उनकी बात सुनकर।मयंक और राजन वो लेटर पढ़ने लगते हैं, उन्हें भी अपने आप पर बहुत गुस्सा आता है की वो हर्ष को अकेला क्यों छोड़ कर गए? उन्हें उसे जबरदस्ती अपने साथ ले जाना चाहिए था या फिर खुद भी वही रुक जाना चाहिये था। राजन और मयंक उसके मम्मी पापा को बताते हैं कि हर्ष ने नशा करना छोड़ दिया था अब वह पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई कर रहा था। हमें लगता था की उसका जेईई क्लियर हो जायेगा। हर्ष के पेरेंट्स कहते है बेटा अब क्या फर्क पड़ता है? अब हर्ष तो हमारे बीच हैं नहीं, वो तो हम सबको छोड़कर चला गया है। हर्ष के इस कदम के पीछे कौन जिम्मेदार है? पढ़ाई का प्रेशर या फिर पेरेंट्स का प्रेशर? एक बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा होता है?उनके मन की हालत क्या होगी जब उसने सुसाइड करने का फैसला किया। क्या उसके आस पास एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जिसे वो अपने मन की बात खुलकर बता पाए? एक पैरेंटस बड़े जतन के साथ अपने बच्चों को बड़ा करते हैं, लेकिन फिर क्या हो जाता है कि वो फिर उन्हें समझ ही नहीं पाते हैं। वे अपने पैरेंट से अपने मन की बात नहीं कर पाते हैं। अब चाहे कुछ भी हो, एक और स्टूडेंट सुसाइड कर लेता है। आखिर कब तक स्टूडेंट्स पर पढ़ाई और पेरेंट्स का प्रेशर पड़ता रहेगा?और कब तक स्टूडेंट सुसाइड करते रहेंगे। क्या पेरेंट्स उन्हें का समझने का प्रयास नहीं कर सकते? जिससे सुसाइड बंद हो सके।
FAQs:
कहानी किस विषय पर आधारित है?
यह कहानी छात्रों के जीवन, परीक्षा के दबाव और नशे की प्रवृत्ति को उजागर करती है और आत्महत्या की गंभीर समस्याओं पर प्रकाश डालती है।इस कहानी का उद्देश्य क्या है?
कहानी का उद्देश्य माता-पिता और छात्रों के बीच संवाद बढ़ाना और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है।कहानी के मुख्य पात्र कौन हैं?
राजन, हर्ष, रमन और मयंक।कहानी से मिलने वाला मुख्य संदेश क्या है?
छात्रों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना, परीक्षा के दबाव को कम करना और हौसला बढ़ाने की आवश्यकता।कहानी कौन-कौन से मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है?
- परीक्षा का दबाव
- नशे की प्रवृत्ति
- आत्महत्या की समस्या
- पैरेंट्स और शिक्षक का सहयोग