वशीकरण शादी: जमींदार बेटे की डरावनी प्रेम कहानी | Horror Love Story
परिचय:-
विक्रम गांव के जमींदार का बेटा था।.विक्रम बहुत सीधा-साधा लड़का था।आज विक्रम बहुत खुश है क्योंकि आज उसकी शादी उस लड़की से हो रही है। जिसे वह पसंद करता है.आज तो विक्रम की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है.कुछ समय बाद।विक्रम और आशा की शादी संपन्न हो जाती है शादी के बाद।आशा की बहन विक्रम के साथ मजाक मजाक मे उसे पता नहीं क्या खिला देती है जिसे खाने के बाद विक्रम की हालत खराब हो जाती है विक्रम की ऐसी हालत देखकर सब लोग डर जाते हैं।और आपकी बहन को डांटने लगते है, मजाक भी अपने जगह ही करना चाहिए।यह सब मजाक किस काम का, जो किसी के लिए मुसीबत बन जाए।कुछ घरेलू उपाय करने के बाद विक्रम ठीक हो जाता है। कुछ समय बाद आशा की विदाई हो जाती है.विक्रम के घर वाले पूरे उत्साह से आशा का स्वागत करने की तैयारी करते हैं.शादी की सारी रस्में होने के बाद आशा कमरे में विक्रम का इंतजार करती है.बहुत देर के बाद भी विक्रम कमरे में नहीं आता है।विक्रम सुबह 4:00 बजे नशे की हालत में आकर अपने कमरे में बेड पर पड़ जाता है।और वैसे ही सो जाता है.आशा उसके जूते उतार के उसे अच्छे से बिस्तर पर सुला देती है आशा सोच में पड़ जाती है इनमें से शराब की तो गंध नहीं आ रही फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे इन्होंने बहुत शराब पी रखी हो.शायद कोई दूसरा नशा किया हो आशा को पता है विक्रम कभी नशा नहीं करता।पता नहीं रात को क्या हुआ जो इतना नशा कर लिया? आशा सुबह इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताती है.क्योंकि। विक्रम और आशा को पगफेरे। के लिए जाना था इसलिए वो अपना और दूसरे का मूड खराब नहीं करना चाहती थी। दोनों नशे के बारे में कोई बात नहीं करते हैं दोनों तैयार होकर घर से चले जाते हैं कुछ समय बाद दोनों आशा के घर पहुंच जाते हैं.आशा की बहन विक्रम का बहुत अच्छे से स्वागत करती है उसके साथ हसी मजाक करती है आशा की बहन आशा को भी छेड़ती है कि कल रात तुम दोनों ने क्या-क्या किया कल तो बहुत मज़े किये होंगे।आशा उन्हें डांट कर चुप कर देती है विक्रम और आसा वहाँ की रस्में पूरी करने के कुछ समय बाद आशा और विक्रम वापस अपने घर आ जाते हैं.जब दोनों अकेले अपने कमरे में होते हैं तो आशा कहती है मुझे आपसे कुछ बात करनी है आज आप कोई नशा मत करके आना कल की तरह विक्रम कहता है तुम्हारा दिमाग खराब है तुम्हें तो अच्छे से पता है मैं नशा करने के खिलाफ हूं और मैं नशा करूंगा! लेकिन कल तो आप होश में ही नहीं थे आपको यह खबर ही नहीं थी आप कहां सो रहे हैं विक्रम कहता है हाँ कल मुझे भी कुछ अजीब सा लग रहा था। मुझे अंदर से बेचैनी महसूस हो रही थी।पता नहीं मुझे क्या हो रहा था मेरा कहीं ध्यान ही नहीं था की मैं कहां था जब मैं अपने कमरे में अकेला बैठा तो मेरा जी घबराने लगा।मेरा मन उल्टी करने जैसे हो रहा था. अपना मन सही करने के लिए मैं घर के पीछे खेतों में चला गया उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं मैं कहां था यहां पर कैसे आया कब आया. विक्रम कहता है कहीं तुमने कल किसी को मेरे बारे में तो नहीं बता दिया। आशा कहती है नहीं मैंने किसी को कुछ नहीं बताया.विक्रम कहता है अच्छा किया वरना वे चिंता करते. कुछ काम करने के बाद आशा रात कोअपने कमरे में आ जाती है विक्रम उसका पहले से ही इंतजार कर रहा था।वह उसके लिए गिफ्ट लाता है जिसे देखकर आशा बहुत खुश हो जाती है.उसकी खुशी को देखकर विक्रम भी खुश हो जाता है दोनों अपने नए जीवन के सपने सजाए होते हैं दोनों प्यार भरी बातें करते रहते हैं जब आशा विक्रम के नज़दीक जाती है और उसको गले लगाती है तो विक्रम को अचानक कुछ हो जाता है और वह झटके के साथ बैडसे उठता है। आशा को जोर से धक्का देकर गुस्से में कैमरे से बाहर चला जाता है धक्का लगने के कारण आशा के सिर पर चोट लगती है फिर भी वह विक्रम को देखने के लिए कमरे से बाहर आती है उस समय उसका देवर (रमेश) उसे कमरे से बाहर देख लेता है वह पूछता है भाभी आपको चोट कैसे लगी मैं दवा लाता हूं आशा कहती है मैं इसके बारे में बाद में बताऊंगी आपके भैया को पता नहीं अचानक क्या हुआ वह गुस्से में बाहर चले गए आप देखकर आना वह ठीक तो है. कल भी उनकी तबियत कुछ ठीक नहीं थी। विक्रम का भाई रमेश उसे देखने जाता है विक्रम उसे घर के पीछे मिलता है वह उसे दो तीन बार आवाज भी लगता है लेकिन वह उसकी आवाज नहीं सुनता है तो रमेश उसके पास जाकर उसके सामने खड़ा हो जाता है।और बोलता है भैया आप यहां क्या कर रहे हो घर पर भाभी आपकी फिक्र कर रही है चलो घर चलते हैं रमेश की बातों का विक्रम पर कोई असर नहीं हो रहा था।.जब रमेश विक्रम की तरफ देखा है तो वह डर जाता है विक्रम की आंखें बड़ी-बड़ी और लाल होती है रमेश कुछ समझ पाता उससे पहले ही विक्रम रमेश को उठाकर फेंक देता है जैसे वो कोई इंसान नहीं कोई कागज पुतला हो।पता नहीं उसमें इतनी ताकत कहाँ से आ गयी और वो खेत के कुएं पर जाकर बैठ जाता है.अब रमेश की हिम्मत नहीं होती है वह विक्रम को आवाज लगा सके।वह वापस घर आ जाता है.आशा पूछती है देवर जी यह क्या हुआ रमेश कहता है भाभी आपको यह चोट भैया की वजह से आई है आशा हांआपकी यह हालत भी आपके भाई की वजह से हुई है रमेश कहता है हां भाभी भैया पर कोई चीज सवार है ऐसा लगता है जैसे वो किसी और के कंट्रोल में है.उन्हें किसी की आवाज सुनाई ही नहीं देती.आशा सोच में पड़ जाती है यह अचानक इन्हें क्या हो गया कुछ समय पहले तो हम दोनों कितने खुश थे.अब अचानक यह सब हो गया.रात को जब भी आशा विक्रम के नजदीक जाती तो विक्रम को कुछ हो जाता।अब ये हर रात की बात हो गयी थी।अभी तक वे दोनों एक दूसरे के करीब नहीं आ पाए।फिर दिन पर दिन विक्रम की हालत खराब हो रही थी दिन के समय में भी उसका उसे पर कोई कंट्रोल नहीं होता था ऐसा लगता जैसे वह किसी के वश में हो आशा को देखते ही विक्रम अपने आपे से बाहर हो जाता था.एक दिन तो विक्रम आशा का गला दबा देता है और उसे ऊपर उठा लेता है जब विक्रम का भाई उसे बचाने आता है तो उसे ज़ोर से दूर फेंक देता है कई लोग मिलकर आशा को विक्रम से बचाते हैं। हैं बचाव के चक्कर में विक्रम अपने पापा को भी चोट पहुंचा देता है.अब सबको लगने लगता है कि विक्रम पर कोई शैतान सवार है.विक्रम के मां-बाप एक बाबा को बुलाते हैं बाबा को देखकर विक्रम और भड़क जाता है.वह सामान को तोड़ने लगता है बाबा कहता है इसे ठीक करना मेरे बस की बात नहीं है इसे तो मेरे गुरुजी ही ठीक कर सकते हैं अगर यह साया आपके बेटे से नहीं जाता तो आप अपने बेटे को खो दोगे.बाबा कहता है इसे घर से बाहर मत जाने देना इसे यही बांधकर रखो बाहर के व्यक्ति और बाहर की चीजों से इसे बचा कर रखो यह हर संभव प्रयास करेगा इसके पास मत जाना इसे खोलना मत मैं कल अपने गुरु जी को साथ लेकर आता हूं.विक्रम रात को रोने लगता है मुझे खोल दो मुझे तकलीफ हो रही है वह कभी अपनी मां को बुलाता है तो कभी आशा को.परिवार वालों से विक्रम का यह दुख देखा नहीं जाता है आशा कहती है मां क्या मैं उनके पास जाऊं उसकी मां हां कर देती है आशा विक्रम के पास आ जाती है विक्रम कहता हैं मुझे पता था। तुम जरूर आओगी देखो मेरे हाथ में दर्द हो रहा है मुझे खोल दो आशा उसे खोलती नहीं हैउसके हाथों पर दवाई लगाने लग जाती है जब विक्रम को पता लगता है आशा उसे नहीं खोलेगी तो वहआशा को पकड़ लेता है और वह आशा का गला दबाने लगता है.आशा की चीज सुनकर घर के सभी लोग बाहर आ जाते हैं वह आशा को छुड़ाने की कोशिश करते हैं लेकिन वह आशा को छुड़ा नहीं पा रहे थे आशा की हालत बहुत बुरी हो गई ऐसे लग रहा था जैसे कुछ समय में आशा की जान चली जाएगी उसकी सांसें रुकने लगती है और आंखें बाहर आने को हो जाती है।अब आशा बहुत ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।उसकी हिम्मत भी जवाब देने लगती है वह शांत होने लगती है तभी विक्रम की मां अंदर से साधु बाबा ने जो विभूति दी थी वह और गंगाजल लाकर विक्रम पर छिड़कती है और विक्रम शांत हो जाता हैलेकिन तब तक आशा बेहोश हो चुकी थी.सुबह साधु बाबा आ जाते हैं अपने गुरु के साथ गुरुजी विक्रम को देखते ही कहते हैं इस पर किसी ने वशीकरण कर रखा है.गुरुजी आशा को बुलाते हैं उससे पूछते हैं यह कब से ऐसा हो रहा है. आशा कहती है यह पिछले 8-10 दिनों से हो रहा है.गुरुजी पूछते हैं जब तुम दोनों करीब होते हो तो विक्रम अचानक से बदल जाता है तुम कभी एक दूसरे के करीब नहीं आए हो ना.आशा कहती है हाँ गुरुजी शादी की पहली रात को वह सुबह 4:00 बजे आए थे और ऐसे लग रहा था जैसे उन्होंने बहुत ज्यादा शराब पी रखी हो लेकिन उन में से शराब की गंध नहीं आ रही थी लेकिन वह होश में नहीं थे जब मैंने पूछा तो उन्होंने कहा मैं कोई नशा नहीं करता.दिन के समय में तो वह ठीक रहते रात को जैसे ही उनके पास जाकर बैठती हूँ। वह मुझे अजीब तरीके से देखते हैं।जैसे मैं कोई अनजान हूँ और मुझे एक तरफ करके गुस्से से बाहर चले जाते थे लेकिन अब तो यह रात दिन एक जैसे ही रहते हैं.गुरुजी पूछते हैं पहली रात को विक्रम ने कुछ बताया उसके साथ क्या हुआ.आशा कहती है उन्होंने बताया उनका मन खराब हो रहा था तो वह उल्टी करने के लिए घर के पीछे वाले हिस्से में चले जाते हैं फिर थोड़ी देर उन्हें कुछ नहीं पता उनके साथ क्या हुआ वह कमरे में कब और कैसे आए गुरुजी विक्रम की शादी वाले कपड़े मंगवाते हैं और घर के पीछे के हिस्सेको भी गुरुजी जांच करके आते हैं.गुरुजी कहते हैं किसी ने शादी वाले दिन इसका वशीकरण किया है वह लड़की है जो विक्रम से प्यार करती है वह विक्रम को किसी और कभी नहीं होने देगी.वह लड़की खुद तो पानी में डूब कर मर गयी। वह लड़की तुम्हारी शादी की अगली रात को ही मरी है.आशा कहती है वह तो मेरे चाचा की लड़की है जो पानी में डूब कर मरी थी.गुरु जी कहते हैं उस लड़की ने इसे अपने वश में किया हुआ है वह लड़की तुम्हारी शादी की रात तुम्हारे पीछे वाले हिस्से में वशीकरण करने के बाद विक्रम से मिलने आई थी और वह उसके अंदर समा गई है.जब तुम विक्रम के करीब होती हो तो उसे बर्दाश्त नहीं होता और वह तुम्हें चोट पहुंचाने लगती है अगर उसे लड़की की आत्मा विक्रम के अंदर से नहीं निकली तो वह विक्रम को अपने साथ लेकर जाएगी.आशा कहती है गुरुजी आप कुछ करिए गुरुजी कहते हैं शादी वाले दिन इसने जो कुछ भी सामान कपड़े और कोईचीज उपयोग किया है वह सब ले आओ एक भी चीज रहनी नहीं चाहिए जो चीज यह इस्तेमाल कर रहा है वह भी ले आना.गुरुजी सारा सामान इकट्ठा करवा कर घर के पीछे वाले हिस्से में रखवा देते हैं और वहीं पर पूजा शुरू करते हैं जहां वह लड़की विक्रम से मिली थी.गुरु जी की पूजा सफल हो जाती है 16 घंटे की पूजा के बाद विक्रम बिल्कुल ठीक हो जाता है.यह गुरु जी की कठिन पूजा का फल होता है लेकिन विक्रम और आशा अपनी जिंदगी का यह डरावना पल कभी नहीं भूल पाते हैं.उनको सामान्य होने में थोड़ा समय लग जाता है लेकिन बाद में उनकी जिंदगी सामान्य हो गई थी और वह खुशी से रहने लगे.
FAQs:-
Q1: यह कहानी किस विषय पर आधारित है?
A1: यह एक डरावनी प्रेम कहानी है जिसमें वशीकरण, आत्मा और पारिवारिक संघर्ष है।Q2: विक्रम की हालत अचानक क्यों बिगड़ जाती है?
A2: विक्रम शादी की रात रहस्यमयी आत्मा के वशीकरण का शिकार हो जाता है।Q3: आशा विक्रम की मदद कैसे करती है?
A3: आशा विक्रम को बचाने के लिए हर संभव कोशिश करती है और गुरुजी की पूजा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।Q4: इस कहानी में मुख्य संदेश क्या है?
A4: प्रेम में विश्वास और परिवार की ताकत, किसी भी बड़ी मुश्किल को मात दे सकती है।Q5: क्या यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है?
A5: नहीं, यह एक काल्पनिक कहानी है।