गायत्री की संघर्षपूर्ण माँ-बेटे की कहानी: पत्नी, माँ और जज़्बातों का बलिदान #FAMILYSTORY #FAMILYDRAMA

गायत्री की संघर्षपूर्ण माँ-बेटे की कहानी: पत्नी, माँ और जज़्बातों का बलिदान 

गायत्री की संघर्षपूर्ण माँ-बेटे की कहानी: पत्नी, माँ और जज़्बातों का बलिदान #FAMILYSTORY #FAMILYDRAMA

गायत्री और रामकिशन अपने परिवार से दूर शहर में रहता है। उनके चार बच्चे होते हैं। रामकिशन मेहनती और सज्जन व्यक्ति हैं, वो आर्थिक रूप से भी संपन्न है। रामकिशन गायत्री से बहुत प्यार करता है। वह गायत्री का बहुत ध्यान रखता है। वो उसे किसी चीज़ की कमी नहीं होने देता है। गायत्री और रामकिशन अपनी पारिवारिक जीवन से बहुत खुश रहते हैं।गायत्री को घर हर प्रकार की सुख सुविधा देता है। जो पहले के समय में संभव नहीं होती थी वह उसे उस समय में भी एक रानी की तरह रखता है। जबकि उस समय में ज्यादातर लोग औरतों को एक नौकरानी से ज़्यादा नहीं समझते थे। रामकिशन अपने काम में कितना ही थका हारा आए लेकिन वो अपने बच्चों के साथ समय जरूर बिताता है। 1 दिन रामकिशन बहुत खुश हो जाता है। वह गायत्री का पहले से भी ज्यादा ख्याल रखता है। वो उसके लिए घर पर काम करने के लिए भी एक नौकरानी रखता है। गायत्री को ऐसा रहते देख पड़ोस की औरतें भी जलती थी। गायत्री भी अपने आप को भाग्यशाली मानती है की उसे रामकिशन जैसाजीवनसाथी मिला है जो उसका और बच्चों का कितना ध्यान रखता है। वो बच्चों को स्कूल के लिए खुद ही तैयार करता है और स्कूल छोड़कर आता 1 दिन राम किशन दोपहर को ही घर जाने की सोचता है और दिन तो हमेशा घर रात को ही जाता है। उस दिन वो दोपहर को घर आने लगता है तो रास्ते में उसे पैर कर कोई चीज़ काट लेती है लेकिन उसे पता नहीं वो क्या है। वो घर चला जाता था। उसे कुछ ठीक नहीं लगता तो वह डॉक्टर से दवा ले आता है। लेकिन 2 दिन बाद रामकिशन की हालत बहुत खराब हो जाती है। डॉक्टर उसे बताता है की किसी जहर वाले जीव ने तुम्हें काटता है।उसका जहर तुम्हारे शरीर में फैल गया है। जब रामकिशन पर दवा का कोई असर नहीं होता तो वह अपना काम संभालने के लिए अपने भाई को बुला लेता है, क्योंकि ज्यादा दिन तक नौकर केऊपर काम नहीं छोड़ सकता था। रामकिशन अपने भाई को कहता है तुम गायत्री और बच्चों का ध्यान  रखना। रामकिशन की हालत दिन पर दिन खराब होती जाती है और 1 दिन रामकिशन का देहांत हो जाता है। रामकिशन का भाई जरूरी क्रिया करके गायत्री और बच्चों को अपने साथ ले जाता है और उस समय मैं गायत्री सात माह की गर्भवती थी। गायत्री की तो जैसी जिंदगी ही खत्म हो गई हो, वो एक जगह बैठी रहती है। वो अपने खाने पीने का भी ध्यान नहीं रखती थी। रामकिशन के परिवार वाले सोचते हैं कहीं उसे कुछ हो न जाए इसलिए वह उसे उसके पिता के घर भेज देते हैं। गायत्री को ऐसा अधमरा देखकर उसके माँ बाप को बहुत दुख होता है। गायत्री के पिता गायत्री को समझते हैं कि गायत्री जाने वाला तो चले जाते हैं, हम उनके साथ नहीं जा सकते तुम्हें अपना  और अपने होने वाले बच्चे के लिए खुद का ख्याल रखना होगा। राम किशन तुम्हें इस हालत में देखकर कितना दुखी होता होगा? तुम उसकी आत्मा को? दुख मत पहुँचाओ तुम्हें अपने बच्चे का भी ध्यान रखना होगा। गायत्री को ये सुनकर जैसे जीने की वजह समझ में आ गई हो। गायत्री अपने बच्चों को लेकर अपने पिता के साथ अपने घर चली जाती है। वहाँ जाकर उसे पता लगता है कि राम किशन मृत्यु के कुछ समय बाद ही।रामकिशन का भाई उसकी दुकान बेच जाता है। ये सुनकर गायत्री को बहुत एक होता है। गायत्री अपने पिता के साथ अपने ससुराल जाती है। जब गायत्री उनके दुकान के बारे में पूछती है तो वे कहते हैं, अब वहाँ जाकर दुकान कौन संभालेगा और अब तुम्हारी और तुम्हारे बच्चों की जिम्मेदारी हमारी है तो तुम्हे भी तो यही रहना पड़ेगा। तुम्हें जरूरत की चीजें मिल जाएंगी, लेकिन गायत्री मना कर देते हैं।उसे दुकान के पैसे मांगती हैं लेकिन वे पैसे देने से मना कर देते हैं गायत्री कहती हैं आप लोग ये सही नहीं कह रहे हो उन पैसों पर मेरे बच्चों का अधिकार है वो  उनके पिताजी की संपत्ति है आपको वे पैसे देने होंगे लेकिन वे गायत्री कि एक नहीं सुनते हैं और उससे धक्का मारकर घर से बाहर निकाल देते हैं। गायत्री अपने पिता के घर आ जाती है।जब गायत्री कुछ महीने बाद वापिस अपने घर जाती है तो वहाँ पर पहले से ही रामकिशन का भाई होता है। वो गायत्री को घर बेचने के लिए कहता है लेकिन गायत्री मना कर देती है। रामकिशन का भाई उनके घर पर कब्जा करने की कोशिश करता है लेकिन गायत्री को ये बात समझ आ जाती है की अगर उसने उन्हें रोका नहीं तो वह उनके लिए कुछ नहीं छोड़ेंगे वो अपने बच्चो को कहा रखेगी इसीलिए गायत्री रिश्तों की मर्यादा को छोड़कर अपने बच्चों के अधिकार के लिए खड़ी होती है और उन लोगों को घर से बाहर निकलकर मानती है अब गायत्री के सामने घर चलाने की मुश्किल चुनौती थी वो क्या करे अब कैसे अपने बच्चों का पालन पोषण करें गायत्री जो अपने घर में भी काम नहीं करती थी।कभी रानी की तरह रहती थी। आज रामकिशन के जाने के बाद उसकी हालत नौकरों जैसी हो गई। उसके पास घर के अलावा कुछ नहीं था। वह और ज्यादा मेहनत करती है। वह खेतों में काम करती है, घरों मेंकाम करती है।  उससे जो काम मिलता है वह काम करती है ताकि उसके बच्चे पढ़े लिखे सके। वो अपने आप को काम झोंक देती है और उसकी मेहनत से उसके बच्चे पढ़ लिखकर नौकरी लग जाते हैं। अब गायत्री का स्वभाव पहले जैसा नहीं था, वो कठोर बन गई थी। उसकी कठोर स्वभाव के कारण उनका बेटा बहु अपने पास रखना नहीं चाहते थे। उसके तीनों बेटे बहु अलग रहते हैं।उसका उसकी जरूरत का सामान और पैसा दे देते हैं, लेकिन वे उसका ख्याल औरउनको अपने पास नहीं रखते। उनको अकेले ही पुराने कमरे में छोड़ देते हैं। जैसे जैसे समय गुजरता है गायत्री का बुढ़ापा और बिमारी बढ़ने लगती है, लेकिन फिर भी उसे कोई अपने साथ रखने के लिए तैयार नहीं होता है वे कहते हैं, इनकी देखभाल के लिए किसी को रख लेंगे। उसकी बेटी कहती है, तुम लोगों ने माँ को अपने पास रखना चाहिये, अगर कुछ हो गया।तो पता भी नहीं लगेगा क्या हुआ, उसका बड़ा बेटा कहता है मैं क्यों रखूँ? ये तीन भी तो रख सकते हैं गायत्री को ना करने के लिए उसके बेटे आपस में लड़ने लगते हैं, तुरत दूसरा कहता है तू रख और बचपन में कहते माँ के पास  रहूंगा दूसरा।मैं रहूंगा तब ऐसे लड़ते थे समय और जरूरत ने सब को बदल दिया गायत्री का एक बेटा कहता है।  माँ को बारी बारी से रखते हैं। ऐसी किसी एक पर माँ का बोझ नहीं आएगा और माँ का ख्याल भी रखा जाएगा। तीनों भाई इस बात पर सहमत हो जाते हैं। गायत्री सोचती है मैंने इतनी मुश्किलों बड़ा किया?मेहनत से इन सबको पढ़ाया और ये बड़ा होने पर मुझे ही भूल गए हैं। मैं उनके लिए बोझ हो गई। मैंने अकेले चार चार बच्चों की परवरिश की और यह मेरा अकेले का ख्याल तक नहीं रख पा रहे।ये तो पैसों में भी समर्थ हैं। आज अगर इनके पिता होते तो मेरी ये हालत नहीं होती। मैं किसी पर बोझ नहीं होती जो कभी उसके पिता के समय में रानी बनकर रहती थी,बाद में उसने दर दर की ठोकरें खाईं इन बच्चों को लायकऔर बड़ा करने के लिए। आज ये सब अपनी गृहस्थी मेँ मस्त है। ये सब इन्हें कैसे मिला इससे उनको कोई मतलब नहीं है। गायत्री को अपने बच्चों का अपने प्रति ऐसा व्यवहार देखकर बहुत दुख हुआ और इस दुख से उबर नहीं पायी और कुछ महीनों के।उसके मृत्यु हो जाती है। 

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