घर में बसी रहस्यमयी आत्मा: सच्ची कहानी मयंक और उसके परिवार की
मयंक ऑफिस से ओवर टाइम करके घर लौट रहा था। आज वह आम दिन से ज्यादा लेट था और उसे घर से बार बार फ़ोन आ रहा था इसलिए वह घर जल्दी पहुंचना चाहता था इसलिए वह अपनी गाड़ी कुछ तेज चला रहा था। अचानक उसे लगा कि उसकी गाड़ी के नीचे कुछ आया है। वह तुरंत अपनी गाड़ी रोकता है और नीचे उतरकर देखता है।उसे कुछ दिखाई नहीं देता इसलिए वो बिना समय गंवाए वह अपनी गाड़ी मैं बैठा और घर की तरफ जाने लगा वो कुछ ही समय में घर पहुँच जाता है उसका परिवार खाने के लिए उसका इंतजार कर रहा था।इसलिए वो घर आते ही हाथ मुँह धोकर खाने के लिए आ जाता है। उसकी एक उनकी बेटी प्रिया है, जो बेड पर बैठे बैठे मयंक की तरफ देखकर खुश हो रही थी। मयंक खाने के टेबल से उठकर अपनी बेटी को गोद में उठा लेता है। फिर वो गोद में ज़ोर ज़ोर से कूदने लगती है। प्रिया को ऐसा खुश देखकर मयंक अपनी सारी थकान भूल जाता है। अगली सुबह जब मयंक की पत्नी बाहर सफाई कर रही थी तो।उसने गाड़ी के टायर पर कुछ खून जैसा लगा दिख रहा था। उसने मयंक से पूछा क्या कल? गाड़ी के नीचे कोई जानवर आ गया था। वो कुछ देर सोचने के बाद कहता है, कल रात मुझे भी ऐसा लगा कि मेरी गाड़ी के नीचे कुछ आया है। जब मैंने नीचे उतरकर देखा तो वहाँ कुछ नहीं था। मैं उनकी पत्नी आरुषि मयंक को कहती है गाड़ी के टायर में कुछ खून जैसा।लगा हुआ है। मयंक कहता है तुम्हें कुछ गलत लग रहा है, यह खून नहीं कुछ और होगा, लेकिन आरुषि का दिमाग ये सब मानने के लिए तैयार नहीं था। वो गाड़ी की तरफ डरीं नजर सेदेखती हैं जैसे आरुषि घर के अंदर जाती है, गाड़ी के टायर से खून बहने लगता है। मयंक नाश्ता करके ऑफिस के लिए निकल जाता है। कुछ देर बाद आरुषि घर के बाहर कचरा रखने आती है। उस समय कचरा ले जाने का समय हो रहा था, उसे लगा कहीं कचरे वाली गाड़ी का होरन। नहीं सुना तो कचरा पूरा दिन घर में ही पड़ा रहेगा ऐसा सोचकर वो समय से पहले ही बाहर कचरा रखने आ जाती। है जब बाहर का नजारा देखती है तो वो डर के मारे सहम जाती है क्योंकि बाहर का नजारा था ही इतना डरावना। घर के बाहर गाड़ी के टायर के निशान होते हैं जो खून से बने होते हैं औरआरुषि हैरान हो जाती है। जब आरूषी ने गाड़ी के टायर पर खून लगा हुआ देखा था, तब इतना खून नहीं था जो ऐसी टायर के निशान बन जाये।अब इसे डर लगते लगा।लेकिन वो आंगन को ऐसे खून से भरा हुआ भी नहीं छोड़ सकती थी इसलिए वह घर के अंदर से पानी की पाइप लेकर आती है जिसे आंगन की पानी से साफ कर देती है वो पाइप लेकर बाहर आती है तो वह पहले से भी ज्यादा हैरान और कन्फ्यूज हो जाती है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। यह सब क्या हो रहा है वो एक दम सनन रह जाती है। उसी समय कचरे वाली गाड़ी का होरन बजता है, लेकिन आरुषि को उसका पहला होरन सुनायी नहीं दिया। इसलिए वो एक लंबा हो रण बजाता है जिससे आरुषि का ध्यान कचरे वाले गाड़ी की तरफ जाता है। लेकिन उसने वहाँ से बाहर जाने में डर लग रहा था। फिर भी वह हिम्मत करके कचरे वाली गाड़ी तक पहुंचती है।उस गाड़ी का हेल्पर आरुषि को ऐसे परेशान देखकर पूछता है मैडम सब ठीक तो है न, कोई परेशानी तो नहीं है क्या हुआ जो इतना घबराई हुई हो?क्या आपको हमारी मदद की जरूरत है? लेकिन आरुषि कुछ नहीं बोलती है। हेल्पर सोचता है क्या पता कोई मजबूरी हो वो आरुषि को धीरे से कहता है, अगर आप किसी कारण मजबूर है तो आप अपने गेट को हिला देना, लेकिन बंद मत करना और इसी को उसकी किसी बातों से फर्क नहीं पड़ रहा था। वह सीधी घर के अंदर जाती है और गेट बंद कर देती है।और वो गाड़ी भी वहाँ से चली जाती है, लेकिन आरुषि अभी भी यही सोच रही थी कि ऐसा कैसे हो सकता है? एकाएक खून से भरे टायर के निशान गायब कैसे हो सकते हैं? वह सच था या फिर मेरा भरम, ऐसा सोचते वो कांपती रहती है। प्रिया के रोने की आवाज से भागकर प्रिया के पास चली जाती है वो सभी बातों से अपना ध्यान।हटाकर प्रिया के साथ खेलने लगती है। उसे लगा यह जरूर उसका कोई बहम है।आरुषि प्रिया को दूध पिलाकर उसे सुला देती है और अपने घर के काम में लग जाती है। धीरे धीरे समय बीतने लगता है और शाम हो जाती है। मयंक भी घर आ जाता है। वो आते ही अपनी बेटी प्रिया से मिलता है, जिसे देखते ही उसकी सारी थकान उतर जाती है और प्रिया को गोद में लेकर आरुषि के पास आता है।आरुषि मयंक के लिए चाय बना रही होती है।इसलिए वह किचन में ही चला जाता है। मयंक आरुषि की तरफ देखता और आरुषि से कहता है क्या हुआ तुम इतनी परेशानी क्यों हो? तुम्हारी तबियत तो ठीक है या फिर प्रिया तुम्हें कुछ ज्यादा ही परेशान करती हैं? आरुषि मयंक को बस इतना ही कहती है की वो थक गयी है। वो उसे सुबह वाला हादसा नहीं बताती।जैसे आज उसने खून से बने टायर के निशान देखे क्योंकि इन सबसे अभी आरुषि खुद कन्फ्यूज हो रही थी। वे सच है। यह कोई बहमन तो मयंक को क्या बताती है, लेकिन उसे दिलो दिमाग मैं बातें अभी तक चल रही थी जिससे आरुषि का चेहरा मायूस सा दिख रहा था, जो मयंक को भी परेशान कर रहा था औरआरुषि तो हमेशा की तरह एनर्जी से भरी हुई होती है। हंसता खिलता चेहरा मयंक पर जादू की तरह काम करता है। मयंक भी आरूषि के साथ मौज मस्ती करता है लेकिन आज तो आरुषि एकदम चुपचाप थी। मयंक आरूषी से।दोबारा उसकी परेशानी की वजह पूछता है, लेकिन आरुषि कुछ नहीं बताती है। अब मैं मयंक भी आरुषि को परेशान नहीं करना चाहता था। अपने सवालों से इसलिए। वो भी अपने ऑफिस का काम करने लग जाता है। ऐसे ही 10-15 दिन निकल जाते हैं लेकिन इन दिनों उनके घर मैं या उनके साथ कुछ न कुछ अजीब हो रहा था।1 दिन तो उनके गेट पर नोक नोक की आवाज आती है। ये आवाज़ लगातार और तेज होती है। इस आवाज से आरुषि की आंख खुल जाती हैं। वो मयंक को नींद से उठाती है और कहती है गेट बजने की आवाज कितनी तेज़ आ रही है, आप जाकर देखो कौन है मयंक सीधे गेट ना खोलकर अपने फ़ोन से।सीसीटीवी कैमरे में देखता है कि बाहर कौन है, लेकिन कैमरों में देखते ही मयंक के तो होश उड़ जाते हैं क्योंकि उसे कैमरे में गेट पर कोई नहीं दिखाई देता।फिर भी गेट बजने की आवाज आती रहती हैं। 10 मिनट बाद वो वह आज अपने आप बंद हो जाती है। लेकिन मयंक यह बात आरुषि को नहीं बताता है। वह सिर्फ इतना ही कहता है। वह चोर का गिरोह है जो गेट बजा रहा था। आरुषि और मयंक वापस अपने बेडरूम में चले जाते हैं लेकिन मयंक अंदर से बहुत डरा होता है।और ज़रा सी आवाज पर चौंक जाता है आरुषि मयंक से कहती हैं, आप इतना क्यों डर रहे हों? वे लोग चले गए हैं, हम सुरक्षित हैं। मयंक आरुषि को बताने की हिम्मत ही नहीं कर पा रहा था की गेट पर कोई नहीं था। बस वह हूँ मैं जवाब देता है मयंक आरुषि को अकेले घर पर छोड़ने पर डरता है इसलिए वो अपनी माँ को गांव से बुला लेता है। उसकी माँ को घर का वातावरण सही नहीं लगता है लेकिन वह कुछ नहीं कहती हैं एक रात तो उनके घर के सभी नलों से पानी टपकने लगता है मयंक टपक टपक की आवाज से उठता है वो आवाज उनके बाथरूम से आ रही थी। वह उसे बंद करके कमरे में आ जाता है। उसे फिर टपक, टपक के आवाज सुनाई देती है वह आवाज़ की दिशा में जाता है जो किचन के नल से आ रही थी वह उसे भी बंद करता है। फिर उसे बाहर वाले बाथरूम से आवाज आती है। मयंक बाहर वाले बाथरूम का नल बंद करके बाहर आता है जैसे वो बाथरूम में जाता है।उसे अंदर से लंबी सांस लेने की आवाज़ सुनाई देती है। ऐसा लगता है मानो जैसे कोई बहुत गुस्से में हैं, मयंक अंदर देखता है, उसे कोई दिखाई नहीं देता है, वापस मुड़ता है, एक ज़ोर का धक्का लगता है, वो पीछे की दीवार से लग जाता है। फिर कोई अनहोनी ताकत उसे गर्दन से पकड़कर ऊपर उठा देती है।मयंक को वहाँ कोई दिखाई नहीं देता है। मयंक पूरी कोशिश करता है अपने आप को मुसीबत से निकालने की। वो पूरी ताकत के साथ अपने हाथ पैर हिलाता है, लेकिन वह गर्दन को नहीं छुड़ा पाता है। उसके माथे से पसीना टपकने लगता है। उसके हाथ पैर धीरे धीरे शांत हो जाते हैं।उसकी सांसें रुकने लगती है और उसकी आंखें बाहर निकलने को हो जाती है। ऐसा लगता है मानो वो अपनी जिंदगी की लड़ाई हार गया हो। आरुषि उससे आवाज़ दे रही थी लेकिन मयंक को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। फिर आरुषि उसे ज़ोर ज़ोर से हिलाती है। मयंक नींद से उठ जाता है वह पसीने मैं गीला होता है उसे यकीन हो रहा था। ये सपना है लेकिन उसकी तकलीफ असली थी। उसकी गर्दन जकड़न अभी थी। मयंक की हालत देखकर आरुषि कहती हैं, आप ठीक तो है ना क्या आपने कोई सपना देखा है? मयंक हाँ जवाब देकर बाथरूम में चला जाता है, उसे बाथरूम के अंदर डर लगता है। कहीं कोई हादसा उसके साथ फिर ना हो जाए। उसके मन से यह डर निकल ही नहीं रहा था लेकिन वो आरुषि और माँ को बताकर उन्हें डराना नहीं चाहता था। दूसरी तरफ माँ को घर के अंदर आते ही कुछ अजीब सा एहसास हो गया था।इसलिए वो अपने गुरु जी से बात करके कुछ समाधान ढूंढ रही थी। वो भी अपने बच्चों को कुछ बताकर उन्हें डराना नहीं चाहती थी। एक रात आरुषि सो रही थी। तभी उसके कानों में कुछ फुसफुसाने की आवाज आती है जो कहती हैं मैं तुम्हारी बेटी को जिंदा नहीं छोड़ूंगी ऐसा सुनते ही आरुषि की तो जान हलक में आ जाती है।को तुरंत अपनी बेटी को सीने से लगा लेती है। आरुषि ये सब कुछ इतनी जल्दी करती है कि पास में सो मयंक की भी आंख खुल जाती हैं। वो आरुषि की तरफ देखता है जिससे शरीर से एसी में भी पसीना आ रहा था। प्रो।वह डरी हुई नज़र से चारों तरफ देखती है, मयंक उसके कंधे से पकड़कर कहता है, और आरुषि तुम ठीक तो हो न तुमने कोई बुरा सपना देखा क्या? आखिर क्या हुआ तुम्हारे साथ आरूषी इतनी डरी हुई होती है कि उसके मुँह से कुछ नहीं निकलता है। वह बस प्रिया प्रिया को कुछ नहीं होगा। वोप्रिया ऐसे आंचल में छुपा लेती है, जैसे कोई उसे देख ही न पाये। और उसी की आँखों से आंसू आने लगते हैं और उसी की ऐसी हालत देखकर तो मयंक एक भी डर जाता है। अबउसे समझ में आने लगा कि जो।उसने सपने में देखा था वो सपना नहीं बल्कि सच में मेरे साथ हुआ था जिसकी तकलीफ और दर्द तो मुझे अब भी हो रहा है। इतने दिनों से मयंक और आरुषि घर में होने वाली अजीब घटना को एक दूसरे छुपा रहे थे।लेकिन अब वे दोनों एक दूसरे से सारी बात बता देते हैं।मयंक ओर, आरुषि अपनी माँ के कमरे में चले जाते हैं।ये सोच कर की माँ तो सही है या नहीं कही। उनके साथ भी कुछ डरावना तो नहीं हुआ है। वे अपनी माँ को आकर ये सभी घटनाएं बताते हैं जो कुछ दिनों में मयंक और आरुषि के साथ हुई थी। माँ कहती है, जब मैं इस घर में आई थी तो मुझे आभास हो गया था ही कुछ है इस घर में मैं तुम्हें बता कर डराना नहीं चाहती थी।इसलिए मैं कई दिनों से अपने गुरु जी के साथ इस समस्या का समाधान ढूंढ रही हूँ। वे हमें आज की बड़ी पूजा के बाद इसका उपाय बता देंगे। मयंक पूछता है माँ आपके साथ घर या कमरे में कुछ अजीब या डरावना हुआ है? माँ कहती है नहीं, बेटे हैं यहाँ पर ऐसा कुछ नहीं हुआ है मेरी मानो तो तुम भी यहाँ पर रुक जाओ कहीं वो प्रिया के साथ कुछ गलत न कर दें। सभी एक कमरे में रहते हैं।कुछ समय बाद सभी खिड़की दरवाजे ज़ोर ज़ोर से बजने लगते हैं, किचन के बर्तन गिरने की आवाज आती है। ऐसा लगता है जैसे घर के अंदर कोई तूफान आ रहा हो, वे सभी ये देखकर डर जाते हैं। माँ मयंक और आरुषि को हिम्मत देते हुए गुरु जी को फ़ोन कर दिया और घर में होने वाली सभी घटनाओं के बारे में बता देती है। गुरूजी कहते हैं। तुम सब को तुरंत घर से बाहर निकलना होगा नहीं तो वो साया प्रिया को अपने साथ ले जाएंगे। माँ गुरु जी से पूछती है लेकिन वो साया हमारे पीछे क्यों पड़ा है? गुरूजी कहते हैं मैं ये सब आकर बताऊँगा। मैं कल सुबह तक पहुँच जाऊंगा।जैसे ही वो बाहर निकलने की कोशिश करने लगते हैं, वैसे ही प्रिया ज़ोर से रोने लगती हैं। वे लोग समझते हैं उसे भूख लगी है। वे उसे दूध पिलाने की कोशिश करते हैं लेकिन वो दूध नहीं पी रही थी। प्रिया की रो रोकर हालत खराब हो जाती है क्योंकि उसे बहुत समय हो गया था। रोते रोते अब तो वह रोने के कारण बेहोश हो जाती है। प्रिया को इस हाल में देखकर वे सभी लोग बहुत दुखी हो जाते हैं। मयंक कहता है हमें प्रिया को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना होगा। वहीं लोग जैसे ही कमरे से बाहर निकलते हैं।तो वहाँ का शोर एकदम से बंद हो जाता है। ये देखकर वे भी हैरान हो जाते हैं। लेकिन उन्हें पता था यह तूफान से पहले की खामोशी है। जैसे ही वो तीनो आगे बढ़ते हैं, कोई अदृश्य शक्ति मयंक को दूर फेंक देती है, ऐसे लगता है कोई खिलौना फेंका हो मयंक की वहाँ से उठने की हिम्मत नहीं होती है, उसे बहुत सी चोट लगती है, फिर वो अदृश्य शक्ति प्रिया को आरुषि की गोद से खींच लेता है। प्रिया हवा में लटकी हुई दिखाई देती हैं जैसे आरुषि प्रिया को पकड़ने के लिए आगे बढ़ती है। ऐसे ही प्रिया हवा में तेजी से आरुषि के कमरे में चली जाती है और दरवाजा बंद हो जाता है। प्रिया को ऐसे जाते। देखकर मयंक हिम्मत करके खड़ा होकर आता है। कमरे के अंदर से प्रिया के रोने की आवाज लगातार आ रही थी, जिसे सुनकर आरुषि का दिल बैठा जा रहा था। वो अपनी बेटी के लिए तड़पती है और ज़ोर ज़ोर से दरवाजा बजातीहै। दरवाजा बजा बजाकर उसके हाथों से खून आने लगते है। फिर भी वह दरवाजा बजाती है और प्रिया को आवाज देती रहती है। मयंक की बहुत कोशिश करने के बाद भी आरुषि अपने आप को नहीं संभालती हैं थकान और डर से वो भी बेहोश हो जाती है। मयंक की माँ, मयंक और आरुषि को दवा पट्टी करती है। अब रात हो चुकी थी। वह चाहकर भी प्रिया को वहाँ छोड़कर घर से बाहर नहीं जा सकते थे। माँ गुरु जी को फ़ोन कर वहाँ की सारी बात और स्थिति बताती है। वो कहती है, बच्ची का अभी तक रोना बंद नहीं हुआ है। वो एक बार तो रोते रोते बेहोश भी हो चुकी है। अगर और समय लगा तो बच्ची बच नहीं पाएंगे गुरूजी कहते हैं क्या मानसरोवर का जल है। आपके पास माँ तुरंत हाँ कर देती है गुरूजी कहते हैं यह जल आप कमरे के दरवाजे पर डाल दो। माँ जी गुरु जी जैसा कहते हैं।वैसा ही करती है जैसी जल दरवाजे पे डालती है। दरवाजा खुल जाता है। कमरे के अंदर का दृश्य देखकर वे और ज्यादा डर जाते हैं क्योंकि प्रिया हवा में ही लेटी हुई थी। माँ प्रिया पर भी चल के छींटे डालती हैं, जिससे प्रिया तेजी से नीचे गिरने लगती है।मयंक तुरंत प्रिया को पकड़ लेता है, माँ कहती है।इसे जल्दी डॉक्टर के पास ले कर जाओ और यह जल। तुम साथ ले जाओ और आरुषि और मयंक कहते हैं, माँ आप भी हमारे साथ चलो माँ कहती है बेटा तुम मेरी चिंता मत करो, तुम जल्दी प्रिया को लेकर जाओ। जब मयंक औरआरुषि नहीं मानते तो माँ उन्हें बोलती है। किसी एक को यहीं रुकना होगा। हम एक साथ यहाँ से नहीं निकल सकते। अगर हमने ऐसा किया तो हम सारे मारे जाएंगे। गुरु जी ने मुझे यहाँ रुकने को कहा है और अब तो कुछ समय ही बाकी है गुरु जीके आने का, तुम जाओ आरुषि और मयंक एक वहाँ से जाने लगते हैं। मयंक अपनी माँ की तरफ बेबसी से देखता है और उनकी आंखो से आंसू आने लगते हैं। माँ भी मयंक को ऐसे देखकर दुखी हो जाती है लेकिन उसने अपने परिवार की जान बचानी है इसलिए वो हिम्मत करके और अपनी बेबसी छिपाकर मयंक को जल्दी जाने के लिए कहती हैं, मयंक जैसे ही अपने माँ की तरफ़ प्यार भरी नजर से देखकर माँ कहता है उसी समय कमरे का दरवाजा बंद हो जाता है और माँ उस कमरे में बंद हो जाती है। मयंक जल के छींटे दरवाजे पर डालता है, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता और वो जल अब प्रिया पर काम कर रहा था। अब मयंक को समझ आजाता है। माने वो जल प्रिया के नाम से सिद्ध किया है इसलिए वो जल माँ ने प्रिया को दिया है मैं अंकोरा ऋषि प्रिया के लिए दुखी मन से बाहर आ जाते हैं।वे प्रिया को हॉस्पिटल में एड्मिट करवा देते है। डॉक्टर कहते हैं इससे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। इसके सांस की नल सिकुड़ती जा रही है। अगर दवा के जल्द असर नहीं दिखाया तो बच्ची मर भी सकती है। ऐसा सुनते ही उन दोनों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है। एक तरफ उन्हें प्रिया को बचाना है और दूसरी तरफ माँ को भी उस घर से निकलना है। मयंक अपने आप को सम्भालता। है और गुरु जी को फ़ोन करता है। गुरूजी कहते हैं, मैं 10 मिनट में तुम्हारे पास पहुँच जाऊंगा। मयंक कहते हैं, गुरु जी, प्रिया की हालत बहुत खराब है।डॉक्टरी कह रहे हैं उसकी सांस की नली सिकुड़ने लग रही है। अगर इसे नहीं रोका तो उसकी मौत हो जाएगी। गुरूजी कहते हैं मैं जानता हूँ क्योंकि किसी बुरे शाय ने प्रिया का गला दबा रखा है। वो अब तक जिंदा इसलिए है क्योंकि माँ उस बुरे साय का हाथ पकड़े हुए है। तुम जल्द ही घर पर मिलों कुछ समय बाद में मयंक और गुरूजी घर पहुँच जाते हैं। गुरु जीके साथ कुछ लोग और भी होते हैं।वे लोग जल छिड़कने और मंत्र का जाप करते हुए अंदर बढ़ते हैं और जल्द ही उस कमरे में पहुँच जाते हैं जहाँ माँ बंद है। गुरूजी अपनी शक्ति से दरवाजा खोल देते हैं, माँ को भी बहुत सी चोटें लगी होती है फिर वह उस साये का हाथ पकड़े हुए होती है। अंत गुरु जी आकर उस सायको अपने।वश में कर लेते हैं और उससे उन्हें तंग करने की वजह पूछते हैं। वो साया औरत का होता है। उसकी एक नवजात बेटी की मौत हो जाती है क्योंकि उसकी बलि दे दी जाती है। जब वह ऐसा होने से रोकती है तो फिर वे लोग उसे मार देते हैं। गुरूजी कहते हैं, पर तुम।इन्हें क्यों परेशान कर रही हो? वो कहती हैं, क्योंकि इनकी गाड़ी के नीचे मेरी बेटी का सिर आया था।एक कुत्ते ने उसे जमीन से निकालकर रोड पर छोड़ दिया और मयंक की गाड़ी ने उसे सिर को कुचल दिया। मैं तब से ही इस घर में हूँ। इसने गाड़ी के नीचे उतरकर देखा था तब उसकीपेंट पर खून लग गया था। जीस कारण मैं घर के अंदर आ पाई। गुरु जी उस घर को पवित्र कर देते हैं, इस आत्मा को मुक्ति दिला देते हैं।हॉस्पिटल से आरुषि का फ़ोन आता है, प्रिया बिल्कुल ठीक है, उसे घर ले जा सकते हैं। माँ भी अब ठीक है। मयंक और माँ हॉस्पिटल पहुँच जाते हैं और आरुषि को सारी बात बता देते हैं,आरुषि और मयंक उनका धन्यवाद करते हैं, एक माँ ही अपने बच्चों के लिए हर मुश्किल विपत्ति का सामना कर सकती है।